Saturday, May 31, 2014

(2.1) Rajasthan Ka Gathan (Ekikaran)

Rajasthan Gen. Knowledge (GK)

Rajasthan Ka Gathan (राजस्थान का गठन / राजस्थान का राजनीतिक एकीकरण )

भारतीय स्वतन्त्रता से पूर्व राजस्थान राजनीतिक इकाई के रूप में राजपूताना के नाम से जाना जाता था। भिन्न-भिन्न भागों के नाम अलग-अलग थे तथा विभिन्न स्वतन्त्र राज्य थे। कर्नल जेम्स टॉड ने इस प्रदेश को रजवाड़ा, रायथन का नाम दिया था, जिसका अर्थ था "राजपूतों का स्थान '। 
1791 ई. में जोधपुर के महाराजा भीमसिंह ने मराठों के विरुद्ध संयुक्त कार्यवाही करने के लिए जयपुर नरेश को लिखे गए पत्र में 'राजस्थाना' अर्थात राजधानियाँ में एकता की इच्छा प्रकट की थी।  अतः कहा जा सकता है कि कर्नल टॉड के पहले भी 'राजस्थान' संज्ञा प्रचलित रही थी। 
मुग़ल इतिहासकार राजपूत को बहुवचन में 'राजपूताना' लिखते थे। इसलिए अंग्रेजों ने इस राज्य का नाम 'राजपूताना' अर्थात 'राजपूतों का देश' रखा। 
आगे चल कर राज्य की इस लौकिक संज्ञा को बदल कर राजस्थान कर दिया गया। 
आधुनिक राजस्थान के निर्माण का प्रयास :-  
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पूर्व राजस्थान 'राजपूताना' के नाम से जाना जाता था जहाँ स्वतन्त्रता के समय 19 देशी रियासतें थी जिनमें से भरतपुर तथा धौलपुर जाटों की रियासतें थी।  ,   
राजपूताना की एक मात्र मुस्लिम रियासत - टोंक थी जहाँ का शासक नवाब कहलाता था।
इनके अतिरिक्त अन्य रियासतें राजपूतों की थी।
इन रियासतों के साथ- साथ तीन ठिकाने-  कुशलगढ़,नीमराणा तथा लावा थे।
अजमेर- मेरवाड़ा ब्रिटिश शासन के सीधे नियन्त्रण  में था।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद 22 रियासतों- ठिकानों  के विभिन्न संघों के निर्माण की प्रक्रिया 18 मार्च, 1948 में शुरू हुई तथा 01 नवम्बर, 1956 को पूरी हुई।  
रियासतों के संघ निर्माण का कार्य भारत के प्रथम गृहमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में 7 चरणों में सम्पन हुआ था। 
(१) मत्स्य संघ का निर्माण :- 
- अलवर,भरतपुर,धौलपुर,करौली के विलय से इस संघ का निर्माण 18 मार्च 1948 को हुआ।  
- के. एम. मुंशी के सुझाव पर इस संघ का नाम  'मत्स्य  संघ' रखा गया जो महाभारत कालीन इस प्रदेश का नाम था। 
- 28  फरवरी, 1948 को इस संघ के दस्तावेजों पर चारों शासकों ने हस्ताक्षर कर दिए। 
- इस नए मत्स्य संघ के राजप्रमुख के रूप में धौलपुर के महाराजा उदयभान सिंह जो आयु में वरिष्ठ थे, को नियुक्ति प्रदान की गयी। 
- इस संघ का उदघाटन केंद्रीय मंत्री बी. एन. गाडगिल द्वारा 18 मार्च, 1948 को हुआ। 
- इस संघ के प्रथम मुख्य मंत्री के रूप में प्रथम मंत्री मण्डल का गठन किया।  
- अलवर को इसकी राजधानी बनाया गया।   

(२) संयुक्त राजस्थान (पूर्व राजस्थान) का निर्माण -

- बांसवाड़ा, बूंदी,डूंगरपुर, झालावाड़,किशनगढ़,कोटा,प्रतापगढ़, शाहपुरा, टोंक को मिला कर 25 मार्च,1948 को इसका निर्माण हुआ।  
- इसका उदघाटन बी. एन. गाडगिल द्वारा कोटा के पोलोग्राउण्ड में सम्पन्न हुआ। 
- कोटा नरेश भीम सिंह को राजप्रमुख ,बूंदी नरेश को वरिष्ठ उप राजप्रमुख और डूंगरपुर नरेश को कनिष्ठ उप राजप्रमुख बनाया गया। 
- राजधानी कोटा को और गोकुल लाल असावा को मुख्य मंत्री बनाया गया।
(३) संयुक्त राजस्थान में मेवाड़ का विलय -
- 11 अप्रेल 1948 को मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किये। 
- 18 अप्रेल,1948 को मेवाड़ रियासत को संयुक्त राजस्थान में मिलाया गया।  
- मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह को राजप्रमुख ,कोटा के महाराव को उप राज प्रमुख तथा बून्दी एवं डूंगरपुर के शासक कनिष्ठ उप राज प्रमुख बनाये गए। 
- राजधानी - उदयपुर तथा प्रधान मंत्री (मुख्यमंत्री) माणिक्य लाल वर्मा को बनाया गया। 
- इसका उदघाटन जवाहरलाल नेहरू ने किया। 
(४) वृहत राजस्थान का निर्माण -
- 30 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर,बीकानेर और जैसलमेर रियासतों को मिला कर 'वृहत राजस्थान' का निर्माण किया गया।
- जयपुर नरेश सवाई मानसिंह को राज प्रमुख,मेवाड़(उदयपुर) नरेश भूपाल सिंह 'महाराज प्रमुख' बनाया गया। 
- राजधानी - जयपुर तथा प्रधान मंत्री (मुख्य मंत्री) हीरालाल शास्त्री को बनाया गया। 
- इसका उदघाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया।    
(५) संयुक्त वृहत राजस्थान का निर्माण - 
- 15 मई,1949 को मत्स्य संघ का प्रशासन वृहत राजस्थान को हस्तांतरित कर दिया गया जिससे संयुक्त वृहत राजस्थान का निर्माण हुआ। 
- विलय से पहले मत्स्य संघ की जनता की राय जानने हेतु शंकर देव की अध्यक्षता में समिति का गठन हुआ था। 
- इसकी राजधानी जयपुर रही। 
- मुख्य मंत्री हीरालाल शास्त्री थे। 
(६) राजस्थान संघ -
- 26 जनवरी 1950 को सिरोही (आबू व देलवाड़ा को छोड़ कर) को संयुक्त वृहत राजस्थान में मिला कर  राजस्थान संघ की स्थापना हुई। 
- इसकी राजधानी जयपुर रही। 
- मुख्य मंत्री हीरालाल शास्त्री थे। 
(७) वर्तमान राजस्थान का निर्माण -
- 01 नवम्बर, 1956 को अजमेर-मेरवाड़ा ,सिरोही का आबू , देलवाड़ा वाला भाग, मध्य प्रदेश राज्य के मन्दसौर जिले का सुनेल टप्पा वाला भाग राजस्थान संघ में मिला दिया गया तथा राजस्थान का सिरोंज क्षेत्र मध्य प्रदेश में मिला दिया गया। इस प्रकार वर्तमान राजस्थान का निर्माण हुआ। - इसकी राजधानी जयपुर रही। 
- मुख्य मंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे। 
- राज प्रमुख के स्थान पर राज्यपाल का पद सृजित किया गया। 
- प्रथम राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंह थे।


(1.1) Rajasthan Ki Bhaugolik Sthiti

Rajasthan Gen, Knowledge (GK) 
राजस्थान की भौगोलिक स्थिति 
- राजस्थान भारतीय उपमहाद्वीप की उत्तरी- पश्चिमी दिशा की ओर स्थित है।
- इसका अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार क्रमशः 23 3' उत्तर से 30 12' उत्तर तथा 39 30' पूर्व से 78 17' पूर्व तक है।
- कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिणी सिरे को स्पर्श करती है।
- राजस्थान का आकार पतंगाकार तथा आकृति विषम कोणीय चतुर्भुजाकार है।
- राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 342239 वर्ग किलो मीटर है, जो देश के क्षेत्रफल का लगभग दसवाँ भाग है।क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के राज्यों में राजस्थान का प्रथम स्थान है।
- राजस्थान का क्षेत्रफल जिम्बाबवे तथा जापान के क्षेत्रफल से थोड़ा ही कम है किन्तु यूनाइटेड किंगडम, पोलैण्ड,इटली,वियतनाम, काँगो आदि से अधिक है। श्री लंका से पाँच गुना,नेपाल से ढाई गुना तथा भूटान से लगभग आठ गुना बड़ा है।
- राजस्थान के पश्चिम में पाकिस्तान,उत्तर-पूर्व में पंजाब, उत्तर-पूर्व व पूर्व में उत्तरप्रदेश,हरयाणा तथा दिल्ली हैं।  दक्षिण में मध्य प्रदेश व दक्षिण-पश्चिम में गुजरात है।
- राजस्थान की 1070 किलो मीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान से लगी हुई है। इस अंतरराष्ट्रीय सीमा को रेड क्लिफ लाइन कहा जाता है।  राजस्थान के चार जिले -श्री गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर,तथा बाड़मेर पाकिस्तान की सीमा को स्पर्श करते हैं।